Top Breaking News दुनिया को राह दिखाने वाली साइबर सिटी गुरुग्राम क्यों बन जाती है नफरत-हिंसा की नर्सरी?

दुनिया को राह दिखाने वाली साइबर सिटी गुरुग्राम क्यों बन जाती है नफरत-हिंसा की नर्सरी?

साइबर सिटी गुरुग्राम


हाल के कुछ वर्षों में गुरुग्राम में ऐसे प्रकरणों का विस्तार हुआ है। कई हिंदू संगठन खुले में नमाज अदा करने पर रोक लगाते रहे हैं।नूंह के प्रकरण की तीव्रता इस ग्रीटिंग्स टेक सिटी में भी पहुंची. पूछताछ में यह बात सामने आती है कि आखिर क्यों हाईटेक सिटी ऐसे मामलों की वजह से सुर्खियों में रहती है।

विशाल संरचनाएं, मेट्रो का उछाल और वाहनों की कतारें... जब आप राजधानी दिल्ली से गुरुग्राम जाते हैं, तो डिजिटल सेंटर क्षेत्र का कुछ ऐसा ही नजारा होता है।गुरुग्राम तेजी से बढ़ते भारत और आईटी के क्षेत्र में लहराते परचम की पहचान है लेकिन आजकल इसकी छवि बिल्कुल अलग है. गुरुग्राम इन दिनों हिंसा को लेकर चर्चा में है,जहां दो नेटवर्क एक दूसरे के साथ संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि गुरुग्राम में ऐसी घटना पहली बार हुई है, पिछले 2-3 सालों में ऐसा बार-बार हुआ है।


गुरुग्राम में भी फैली हिंसा

हरियाणा के नूंह में सोमवार को परेड के दौरान पथराव हुआ, जो बाद में बड़ी क्रूरता में बदल गया.सबसे पहले यह आग नूंह में लगी और देखते ही देखते गुरुग्राम साई भी इसकी चपेट में आ गया. देर शाम तक चलती रही गुरुग्राम में गुंडागर्दी,जहां कई इलाकों में आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें आईं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोमवार देर रात सेक्टर 57 में भीड़ ने मस्जिद के इमाम को गोली मार दी.सोमवार के साथ-साथ मंगलवार को भी गुरुग्राम के कुछ हिस्सों में पायरोमेनिया की चर्चा रही.गुरुग्राम के ही सोहना में दुकानें जलाने, तोड़फोड़ की बात सामने आई थी. हालात इतने बिगड़े थे कि गुरुग्राम में प्रशासन को स्कूल बंद करने पड़े थे.

ऐसे मामले बार-बार सामने आते हैं

हरियाणा की हेलो टेक सिटी में बनाया जा रहा है सार्वजनिक वातावरण जहां लोग अपना करियर बनाएंगे। नूंह में दरिंदगी के बाद बर्बाद हुई हवा वही पुरानी बात है पिछले 2-3 सालों में नमाज के मामले में गुरुग्राम सुर्खियों में रहा है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां बाहर नमाज पढ़ने को लेकर बहस होती रही है।

यहां अनगिनत मुसलमान हैं जो संयंत्रों या संरचनाओं में काम कर रहे हैं। इस औसत में शुक्रवार की प्रार्थनाओं के लिए पार्कों या पुरानी संरचनाओं को शामिल किया गया है।लेकिन समय-समय पर हिन्दूवादी संगठनों ने ऐसा ना करने की चेतावनी दी है.

पिछले पांच साल में बढ़ी हैं घटनाएं

इस पर बाहर नमाज पढ़कर माहौल खराब करने का आरोप है, साथ ही यह मामला अफेक्शन जिहाद से निकलकर जमीन विवाद तक पहुंच रहा है.साल 2018 से खुले में नमाज पढ़ने की चुनौती काफी बढ़ गई है, मुस्लिम समुदाय का कहना है कि नए दौर में मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ है,लेकिन उस हिसाब से मस्जिदें नहीं हैं यही वजह है कि लोग सड़कों और पार्कों में नमाज़ पढ़ रहे होते हैं.

साल 2018 में नमाज़ को लेकर प्रदर्शन हो, अक्टूबर 2022 में मस्जिद में भीड़ का घुसना हो या फिर अब नूंह में फैली हिंसा के बाद गुरुग्राम का माहौल बिगड़ना हो. 21वीं सदी में मिलेनियम सिटी का तमगा पाने वाले गुरुग्राम के लिए ये सब घटनाएं छवि बिगाड़ने वाली हैं और ये उस घिनौनी सच्चाई को सामने लाती हैं, जो चकाचौंध के पीछे छिप जाती हैं.


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